Sunday 17 March 2013

पटना पटनायक सरिस, नीति चुने नीतीश-



हकीकत : दिल्ली से भीख मांगते रहे नीतीश !


महेन्द्र श्रीवास्तव 

पटना पटनायक सरिस, नीति चुने नीतीश |
चालाकी में भैंस से, पड़ते हैं इक्कीस |

पड़ते हैं इक्कीस, सदी इक्कीस भुनाते |
ले विशेष अधिकार, ख़्वाब ये हमें दिखाते |

रविकर से है रीस, उधर चालू है सटना |
दो नावों पर पैर, बड़ा मुश्किल है पटना ||



किसे चुने हत्यारो और लुटेरों में ?


tarun_kt 


यारा हत्यारा चुनो, बड़े लुटेरे दुष्ट |
टेरे माया को सदा, करें बैंक संपुष्ट |


करें बैंक संपुष्ट, बना देते भिखमंगा |
मर मर जीना व्यर्थ,  नाचता डाकू नंगा |


हत्यारा है यार, ख़याल रख रहा हमारा |
वह मारे इक बार, रोज मत मरना यारा ||

वाह वाह ताऊ क्या लात है? में श्री दिगंबर नासवा


ताऊ रामपुरिया 


रानी बन कर कर रही, ताई कब से मौज |
रखती है मुर्गा बना, तले कलेजा  रोज  |
तले कलेजा  रोज , खरी खोटी पकडाती |
सोलह से तैयार, स्वयं  डोली सजवाती |
धिक् धिक् यह सरकार, आज की नई कहानी |
अब आया कानून, बात यह बड़ी पुरानी |

कार्टून कुछ बोलता है- रंगभेद !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

नाती-पोता नेहरू, कर्ता धर्ता *शेख |
अब्दुल्ला के ब्याह में, दीवाना ले देख |

दीवाना ले देख, मरे कश्मीरी पंडित |
निर्बल बिन हथियार, जवानो के सिर खंडित |

डंडे से गर मोह, संघ को भेजो पाती |
वह *मोहन तैयार, करो रविकर तैनाती ||
*भागवत

 My Unveil Emotions 

पाए सत्ता कवच अब, कुंडल पाए स्वर्ण |
घर घर में कुन्ती हुई, बच्चा आया कर्ण |

बच्चा आया कर्ण , जलालत नहीं होयगी-
आया है अधिनियम, नहीं अब मातु खोयगी |

दुर्योधन का मित्र, दुशासन ख़ुशी मनाये |
हैं प्रसन्न धृतराष्ट्र, कलेजा ठंढक पाए  |
Kuldeep Sing 

 सुनती कर्ण पुकार है, अब जा के सरकार |
सोलह के सम्बन्ध से, निश्चय हो  उद्धार |

निश्चय हो  उद्धार, बिना व्याही माओं के |
होंगे कर्ण अपार, कुँवारी कन्याओं के |

अट्ठारह में ब्याह, गोद में लेकर कुन्ती |
फेरे घूमे सात, उलाहन क्यूँ कर सुनती ||


 भूली-बिसरी यादें
लाई-गुड़ देती बटा, मुँह में लगी हराम |
रेवड़ियाँ कुछ पा गए, भूल गए हरिनाम |


भूल गए हरिनाम, इसी में सारा कौसल |
बिन बोये लें काट, चला मत खेतों में हल |


बने निकम्मे लोग, चले हैं कोस अढ़ाई |
गए कई युग बीत, हुई पर कहाँ भलाई  ??


"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-24

 

संगम से गम दूर, तीर्थ मनु बुद्धि-बल का-


कुण्डलिया
इड़ा पिंगला सुषुम्ना, संगम सी शुभ-देह ।

प्रभु चरणों में आत्मा, पाए शाश्वत नेह ।

पाए शाश्वत नेह, गरुण से अमृत छलका ।

संगम से गम दूर, तीर्थ मनु बुद्धि-बल का ।

कर मनुवा सत्संग, मिलें मदनारि-मंगला ।

कर पूजन तप दान, दर्श दें इड़ा-पिंगला ।
इड़ा पिंगला सुषुम्ना=तीन नाड़ियाँ


इड़ा-पिंगला= माँ सरस्वती-माँ लक्ष्मी

मदनारि मंगला = शिव-पार्वती


 यह ज़माना भला कब था,
पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
 बहन बेटी बिन मिनिस्टर, 
सोच में कुछ भला कब था-
ब्याह से पहले हुवे सच, 
किन्तु माँ से पला कब था |

कर्ण दुर्योधन दुशासन, 
और शकुनी मिल गए हैं-
विदुर चुप रहते विषय पर, 
भीष्म का कुछ चला कब था |
नाहक चिंता कर रहे, मातु-पिता कर्तव्य |
हक़ है हर औलाद का, मातु पिता हैं *हव्य |

मातु पिता हैं *हव्य, सहेंगे हरदम झटका |
वह तो सह-उत्पाद, मिलन के पांच मिनट का |

खोदो खुद से कूप, बरसते नहीं बलाहक |
होय छांह या धूप, करो मत चिंता नाहक ||

हवन-सामग्री-

 



5 comments:

  1. चुनिंदा लिंक्स
    बहुत बढिया

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  2. बहुत ही बढियाँ प्रस्तुति कविवर,सादर नमन.

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  3. बहुत बढिया,आभार रविकर जी !

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  4. पटना पटनायक सरिस, नीति चुने नीतीश |
    चालाकी में भैंस से, पड़ते हैं इक्कीस |

    पड़ते हैं इक्कीस, सदी इक्कीस भुनाते |
    ले विशेष अधिकार, ख़्वाब ये हमें दिखाते |

    रविकर से है रीस, उधर चालू है सटना |
    दो नावों पर पैर, बड़ा मुश्किल है पटना ||

    क्या बात है सरजी अच्छा मारा है सेकुलर तमाचा इन सेकुलरों को .

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  5. कुण्डलिया
    इड़ा पिंगला सुषुम्ना, संगम सी शुभ-देह ।

    प्रभु चरणों में आत्मा, पाए शाश्वत नेह ।

    पाए शाश्वत नेह, गरुण से अमृत छलका ।

    संगम से गम दूर, तीर्थ मनु बुद्धि-बल का ।

    कर मनुवा सत्संग, मिलें मदनारि-मंगला ।

    कर पूजन तप दान, दर्श दें इड़ा-पिंगला ।

    बहुत खूब सर जी .

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