Sunday 20 January 2013

कुत्ते बिल्ली से लड़ें-




जब 'दिया' चले कंप्यूटर से भी तेज

बाल-दुनिया

 दिया दिव्यतम तेज है, उम्र महज है सात ।
बी एस सी के सूत्र कुल , झट-पट हमें सुनात ।

झट-पट हमें सुनात, लगे बिटिया अलबेली।
खुश होते पितु-मात, गुड्डा गुडिया खेली ।

रविकर दे आशीष, बने व सबसे उत्तम ।
शुभ्र दिया का तेज, ईश ने दिया दिव्यतम ।।

माँ ने कहा सत्ता जहर की तरह है, और भारत के लोग मेरी जान है:- राहुल गांधी

अंधड़ !

जहरखुरानी में मरें, होवे एक्सीडेंट |
जोखिम में यह जान है, उखड़े तम्बू टेंट |
उखड़े तम्बू टेंट, रेंट की खातिर बन्दे |
बिन मांगे मिल जाए, झोलियाँ भर भर चंदे |
जनता माँ की जान, जहर सी सत्ता रानी |
दे बेटे को सौंप, होय ना जहर-खुरानी ||


हिन्दु-वाद-आतंक, शब्द लगते हैं मारक-

मिली मुबारकवाद मकु, मणि शंकर अय्यार ।
शिंदे फर्द-बयान से, जाते पलटी मार ।
जाते पलटी मार , भतीजा होता है खुश।
नकारात्मक वार, कभी हो जाता दुर्धुष । 
हिन्दु-वाद-आतंक, शब्द लगते हैं मारक ।
हर्षित फूंके शंख, मित्र से मिली मुबारक ।।

अपने अंदर झांकें कांग्रेस कार्यकर्ता : सोनिया



काके अन्दर झाँक ले, आँके खुद को आप |
इधर उधर भी ताक़ ले, रहा ताक़ में बाप |
रहा ताक़ में बाप, वसूलों से है खेला |
अपना रस्ता नाप, करे गर वही झमेला |
मुश्किल में हालात, दिखा इक्जाम्पुल आके |
पोछ-पाछ कर नाक, दिखा जलवे अब काके ||

अब चिंतन दरबार, बिलौटे खातिर चिंतित -

मणि-मस्तक शंकर चढ़े, अयप्पा के द्वार ।
कुत्ते बिल्ली से लड़ें, बागडोर सरकार ।

बागडोर सरकार, मगर कुत्ते हैं हारे ।
 म्याऊँ बारम्बार, जीत करके हुंकारे ।

अब चिंतन दरबार, बिलौटे खातिर चिंतित ।
करे आर या पार, शक्ति म्याऊँ अभिसिंचित ।।
 



*चिंजा - चिंजी वास्ते, चिंतन-तन अनुराग-
*चिंजा - चिंजी  वास्ते, चिंतन-तन अनुराग ।

नंबर दो तो रहा ही, दो हित कर खटराग ।


दो हित कर खटराग, आग अब अटल बिहारी ।

जब मुंडेर पर काग, कुँवारा मुंडा भारी ।


दो मत इतना बोझ, कहीं ना होवे गंजा ।

करो कर्म यह सोझ, ब्याह माँ अपना चिंजा ।।
*चिंजा - चिंजी=बेटा -बेटी

चिंतन शिविर हमारी खातिर -

लुटे दामिनी रोज ही, जो चाहे सो लूट ।
लूट लुटेरे फूट लें, पर थानों में फूट ।
  इक इक कर अधिकारी खिसके ।
 चिंतन शिविर वास्ते किसके ?


संसाधन नीलाम हों, मनु-मिनरल-फारेस्ट ।
करें विदेशी मस्तियाँ, बन सत्ता के गेस्ट ।
करते पिकनिक चन्दन घिसके ।
 चिंतन शिविर वास्ते किसके ?


लेवी उधर वसूलते, नक्सल के उत्पात ।
पुलिस तंग करती इधर, दोनों करते घात ।
मरती है यूँ पब्लिक पिसके ।
 चिंतन शिविर वास्ते किसके ?

दुर्गम सीमा देश की, रहे कर्मरत फौज ।
शीश शहीदों के कटें, यहाँ मौज ही मौज ।
क्यूँ जाने, घरवाले सिसके  । 
 चिंतन शिविर वास्ते किसके ?
विकट बोलबाला दिखे, प्रभु-सम भ्रष्टाचार ।
पुहुप-वास से पातरा, पूजें भक्त अपार ।
 भगवन भी हैं बस में जिसके ।
   चिंतन शिविर वास्ते किसके ?
पीढ़ी दर पीढ़ी चले, सीढ़ी चढ़े प्रवीन ।
आसमान में विचरते, समझें कहाँ जमीन ।
सारे पद तो पीछे इसके ।
  चिंतन शिविर वास्ते किसके ?

6 comments:

  1. अंधड़ !
    जहरखुरानी में मरें, होवे एक्सीडेंट |
    जोखिम में यह जान है, उखड़े तम्बू टेंट |
    उखड़े तम्बू टेंट, रेंट की खातिर बन्दे |
    बिन मांगे मिल जाए, झोलियाँ भर भर चंदे |
    जनता माँ की जान, जहर सी सत्ता रानी |
    दे बेटे को सौंप, होय ना जहर-खुरानी ||

    मौजू और प्रासंगिक ,बिंदास बोल ,पोल खोल ,बोल बोल बोल ,रविकर बोल

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  2. Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ रविवार, 20 जनवरी 2013 .फिर इस देश के नौजवानों का क्या होगा ? http://veerubhai1947.blogspot.in/
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  3. सभी पोस्ट अच्छे | आपकी कुण्डलिया भी बेहतरीन |

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  4. हिन्दु-वाद-आतंक, शब्द लगते हैं मारक-
    मिली मुबारकवाद मकु, मणि शंकर अय्यार ।
    शिंदे फर्द-बयान से, जाते पलटी मार ।
    जाते पलटी मार , भतीजा होता है खुश।
    नकारात्मक वार, कभी हो जाता दुर्धुष ।
    हिन्दु-वाद-आतंक, शब्द लगते हैं मारक ।
    हर्षित फूंके शंख, मित्र से मिली मुबारक ।।

    आरक्षित कोटे के गृह मंत्री से और क्या उम्मीद रखियेगा जब की सीमा पर छल कपट से सर कलम किये गएँ हैं हमारे फौजियों के बस हफ्ता भर पहले .

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  5. क्या बात है गुरुदेव श्री आनंद आ गया मन प्रफुल्लित हो उठा आपकी कुंडलियों का रसपान करके. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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